23 Aug 2025, Sat

उत्तराखंड में भी जल्द लागू होंगी जुर्माने की नई दरें

रूड़की। नया यातायात नियम देशभर में लागू हो गया है। इस नये नियम के तहत यातायात नियमों को तोड़ने पर लोगों को 10 गुना तक का ज्यादा अर्थ दंड देना पड़ रहा है। ऐसे में इन दिनों लोगों के सपनों में ट्रैफिक पुलिस चालान काटती ही नजरआ रही है। नए ट्रैफिक नियमों के लागू होने के बाद से ट्रैफिक पुलिस  की तरफ से लोगों का 23000 रुपये से लेकर 59000 रुपये तक का चालान काटा गया है। ऐसे में इस कानून के डर से लोग ट्रैफिक नियमों को लेकर काफी डरे हुए हैं।
नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर ताबड़तोड़ चालान काटने की खबरें देशभर से आ रही हैं। हालांकि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के मुताबिक अगर आप ट्रैफिक पुलिस को मांगने पर फौरन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं, तो यह जुर्म नहीं है।
 सहायक सड़क परिवहन अधिकारी ज्योति शंकर मिश्रा ने बताया कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के नियम 139 में प्रावधान किया गया है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल उसका चालान नहीं काट सकती है। अगर वाहन चालक 15 दिन के अंदर इन दस्तावेजों को दिखाने का दावा करता है, तो ट्रैफिक पुलिस चालान नही काटेगी। इसके बाद चालक को 15 दिन के अंदर इन दस्तावेजों को संबंधित ट्रैफिक पुलिस या अधिकारी को दिखाना होगा। मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की धारा 158 के तहत एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामलों में इन दस्तावेजों को दिखाने का समय 7 दिन का होता है।  ट्रैफिक पुलिस आरसी, डीएल, इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर चालान काटती है, तो चालक के पास कोर्ट में इसको खारिज कराने का विकल्प रहता है।यानि वह अधिकारियों के विरुद्ध कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। अगर ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरीके चालान काटती है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं होता है कि चालक को चालान भरना ही पड़ेगा। ट्रैफिक पुलिस का चालान कोई कोर्ट का आदेश नहीं हैं और इसको कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अगर कोर्ट को लगता है कि चालक के पास सभी दस्तावेज हैं और उसको इन दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया गया, तो वह जुर्माना समाप्त कर सकता है। नए  यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि इतनी ज्यादा रखी गई है कि अगर आप नियम तोड़ते हैं तो आपकी जेब पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा। एक सितंबर से अगर नाबालिग कार चलाते पकड़े गए तो वाहन मालिक को तीन साल तक जेल की हवा खानी पड़ेगी। वहीं कार चलाने वाले नाबालिग को 500 रुपए की जगह अब 25 हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा। अगर बिना हेलमेट पहने बाइक, स्कूटर, स्कूटी, बुलेट सहित अन्य दोपहिया वाहन चलाते पकड़ाए तो आपकी वाहन की लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित की जा सकती है। नए एक्ट मुताबिक बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाते पकड़ाने पर जुर्माना राशि 100 रुपए से बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया है। खतरनाक तरीके से वाहन चलाते पकड़ाने पर एक हजार की जगह पांच हजार जुर्माना भरना पड़ेगा।अच्छा यह है कि वाहन कागजात डिजिटल रूप में अपने साथ रखे,तब असल कागजात साथ रखने की जरूरत नही पड़ेगी।
 सहायक सड़क परिवहन अधिकारी ज्योति शंकर मिश्रा के अनुसार मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की धारा 158 के मुताबिक वाहन चालक को ट्रैफिक पुलिस या संबंधित अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस दिखाना जरूरी है. अगर ट्रांसपोर्ट वाहन है यानी वाहन का कॉमर्शियल पर्पज के लिए इस्तेमाल हो रहा है, तो फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ परमिट सर्टिफिकेट भी चालक को दिखाना होगा.वाहन की बाबत सभी दस्तावेज ओरिजनल होने चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि चालक दस्तावेज की फोटो कॉपी दिखाकर चालान या जुर्माने से बच नहीं सकते हैं. अगर किसी चालक के पास ये ओरिजनल दस्तावेज नहीं मिलते हैं, तो ट्रैफिक पुलिस चालान काट सकती है और गाड़ी को सीज कर सकती है. इसके बाद चालक को कोर्ट जाकर चालान भुगतना पड़ेगा. तब जाकर गाड़ी को छुड़ाया जा सकेगा। अगर वाहन चालक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और फिटनेस सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी अपने पास नहीं रख पाते हैं, तो वो डिजीलॉकर (क्पहपस्वबामत) का इस्तेमाल कर सकते हैं. डिजिलॉकर में रखे दस्तावेजों को भी ओरिजनल हार्ड कॉपी की तरह ही माना जाता है. नवंबर 2018 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके डिजिलॉकर को कानूनी मान्यता प्रदान की थी. कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी डिजिलॉकर को मानने से इनकार नहीं कर सकता है।

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